बादल कैसे बनते हैं ;बादल क्या है निर्माण प्रकार बिजली

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तो आज हम आप लोगो को बताने जा रहे है बादल कैसे बनते हैं ; और आप को बताएँगे बादल से जुडी सब जान कारी आप लोगो तक पोचायेंगे बादल क्या है ,बादलों का निर्माण कैसे होता है ,बादल के प्रकार , बादल कैसे बनते हैं ।  ,और बारिश कैसे होती है?,बादल कैसे फटता है?,बिजली कैसे चमकती है?,बिजली कैसे और क्यों गिरती है?,

बादल कैसे बनते हैं-Badal kaise bante hain

बदलो का बनना एक प्रकृति खूबसूरत प्रक्रिया होती है सृष्टि के आरंभ से ही बादल वर्षा के रूप में मानब और जीव-जंतुओं तक वर्षा होती है और जल के के कारण पेड़-पौधे और जीव-जंतु ज़िंदा रहते है

किया आप लोग जानते है बादल कैसे बनते है और ये कितने  प्रकार के होते हैं? और बादलों  में पानी कैसे बनता है अगर आप लोग नहीं जानते तो कोई बात नहीं हम  बदल से जुड़ी सारी जानकारी इस पोस्ट में विस्तार से बताएंगे हमारे पोस्ट को आप लोग पूरा ज़रूर पड़े  कियोकि बदल से जुडी हर एक जानकारी में आप को दूंगा

बादल कैसे बनते हैं वैसे तो हम जानते हैं कि सूर्य की गर्मी से नदियों, और तालाबों का पानी भाप बनकर हवा में उड़ जाता है…. बाष्पयुक्त गर्म हवा हल्की होने के कारण आकाश में ऊपर उठती रहती है….अधिक वाष्प वाली हवा जब एक जगह जमा हो जाती है….तब उसका रूप धुए जैसा हो जाता है….जलवाष्प युक्त हवा के इसी रूप को हम बादल कहते हैं….और इन बादलों में उपस्थित जलवाष्प धूल, नमक…..और धुंए के कणों से संघनित्र होकर बूदों में बदल जाती हैं

फिर यही बूंदें बड़ी होकर वर्षा के रूप में धरती पर गिरती हैं…..वैसे भिन्न-भिन्न आकार के दस बादल होते हैं….लेकिन उनके आकार, स्वरूप और रंग के अनुसार….मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जा सकता है…..पहला है पक्षाभ मेघ यानि कि Cirrus….ये बादल बहुत ऊंचाई पर बनते हैं….इनका रंग सफेद होता है….और ये चिड़िया के पंख की भांति दिखते हैं

इनकी ऊंचाई धरती से 8,000 से 11,000 मीटर तक होती है….और ये बर्फ के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनते हैं….दूसरे होते है स्तरीय मेघ यानि कि Stratus….. ये बादल लगभग 2,438 मीटर मतलब 8000 फुट की ऊंचाई पर बनते हैं…और ये कोहरे की परत जैसे लगते हैं…वैसे ये अधिकतर खराब मौसम और बूंदा-बांदी की सूचना देते हैं….तीसरे बादल का प्रकार है

कपासी मेघ यानि कि Cumulus ये बादल कपास के ढेर की शक्ल के होते है…..और ये बादल पृथ्वी से 1,219 से 1,524 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं….वैसे ये ऊपर से गुंबद के आकार के होते हैं और नीचे से चपटे होते हैं….ये आकाश में सफेद पहाड़ की तरह नजर आते हैं…..अब बात करते है बादल के चौथे प्रकार का….वो है वर्षा मेघ यानि कि Nimbo Stratus…. ये सबसे कम ऊंचाई पर बनने वाले बादल हैं…..ये गहरे भूरे या काले रंग के होते हैं

और इन बादलों से ही वर्षा होती है….इनके अतिरिक्त बादलों की छह और किस्में होती हैं….लेकिन मुख्य यही है….लोकिन बादलों के नीचे की हवा यदि ठंडी हो, तब बादलों में उपस्थित कणों का आकार बड़ा होता जाएगा….और ये पानी की बड़ी बूंदों में बदल जाएंगे…..यही बूंदें वर्षा के रूप में जमीन पर गिर जाती हैं….और इसी प्रकार यदि इन बादलों के नीचे की हवा गर्म हो…. तब उसमें उपस्थित संघनित जल कण फिर से वाष्प में बदल जाएंगे…..इसका परिणाम यह होगा कि बादल बिन बरसे ओझल हो जाएंगे

बादल का निर्माण कैसे होता है? (How is cloud formed?) बादल के प्रकार

मेघों के निर्माण के लिए आवश्यक तत्व: (1) जल का विस्तृत क्षेत्रफल में फैला होना (2) सूर्यातप या ऊष्मा का अधिक होना (3) वायुमंडल में धूलकणों की उपस्थित (4) पवनें

निर्माण की प्रक्रिया (Construction process):

बदलों का निर्माण संघनन की प्रक्रिया के कारण होता है। सबसे पहले दिन के समय विस्तृत महासागरों या सागरों में सूर्य की किरणे पड़ती है जिस कारण महासागरों का जल गर्म होकर वाष्पीकृत होने लगता है और जलवाष्प में परिवर्तित होने लगता है। इसके बाद गर्म वायु इन जलवाष्प को ऊपर उढ़ाकर वायुमंडल में ले जाने का कार्य करती है।

वायु जैसे-जैसे ऊंचाई पर बढ़ती रहती है वैसे-वैसे तापमान कम होता रहता है और जलवाष्प ठंडा होने लगता है और वायु में उपस्थित धूलकणों के केंद्रकों के चारो ओर जलवाष्प संघनित होने लगता है जिससे बादल (मेघ) बनते है। चूंकि इनका निर्माण पृथ्वी की सतह से कुछ ऊंचाई पर होता है, इसलिए इनके विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता में अंतर आने लगता से जिसे ये विभिन्न रूप धारण करते है।

बादल  के प्रकार (Types of cloud): सामान्यतः बदलो का वर्गीकरण उनके विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर किया जाता है। ये मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है

1. पक्षाभ (Cirrus clouds): इस प्रकार के मेघो का निर्माण सामान्यतः 8 से 12 कि.मी. कि ऊंचाई पर होता है। ये
बादल पतले तथा बिखरे हुये होते है, जो पंख के समान प्रतीत होते है। इनका रंग सदैव सफ़ेद होता है।

2. कपासी (Cumulus clouds):कपासी मेघों का निर्माण प्राय: 4 से 7 कि.मी. कि ऊंचाई पर होता है। इस प्रकार
के बादलों का आधार चपटा होता है और ये छितरे तथा इधर-उधर बिखरे हुये होते है, जिस कारण ये रुई कि आकृति जैसे दिखते है, इसीलिए इन्हे कपासी मेघ कहा जाता है।

3. वर्षा  (Nimbus clouds): इन मेघो का निर्माण सामान्यत: 2 कि.मी. कि ऊंचाई पर ही होता है, जिस कारण ये
पृथ्वी कि सतह के काफी नजदीक होते है। इनका रंग काला या स्लेटी होता है, जिस कारण ये सूर्य कि किरणों के लिए
अपारदर्शी हो जाते है। ये मेघ मोटे, जलवाष्प कि आकृति से विहीन संहति होते है।

4. स्तरी (Stratus clouds): इस प्रकार के बादलों का निर्माण उष्ण वातान पर होता है जहाँ उष्ण वायुराशि
अपेक्षाकृत ठंडी वायुराशि के संपर्क में आकर उस पर चढ़ने लगती है। ये बादल परतदार होते है जोकि आकाश के बहुत बड़े भागों में फैले रहते है। ये बादल सामान्यत: या तो ऊष्मा के ह्रास या अलग-अलग तापमानों पर हवा के आपस में मिश्रित होने से बनते है।

बादल  के प्रकार (Types of cloud): सामान्यतः बदलो का वर्गीकरण उनके विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या १ अपारदर्शिता के आधार पर किया जाता है। ये मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है

1. पक्षाभ मेघ (Cirrus clouds): इस प्रकार के मेघो का निर्माण सामान्यतः 8 से 12 कि.मी. कि ऊंचाई पर होता है। ये बादल पतले तथा बिखरे हुये होते है, जो पंख के समान प्रतीत होते है। इनका रंग सदैव सफ़ेद होता है

2.कपासी मेघ (Cumulus clouds):कपासी मेघों का निर्माण प्रायः 4 से 7 कि.मी. कि ऊंचाई पर होता है। इस प्रकार ७. के बादलों का आधार चपटा होता है और ये छितरे तथा इधर-उधर बिखर हये होते है, जिस कारण ये रुई कि आकृति जैसे दिखते है, इसीलिए इन्हे कपासी मेघ कहा जाता है।

3. वर्षा मेघ (Nimbus clouds): इन मेघो का निर्माण सामागतः 2 कि.मी. कि ऊंचाई पर ही होता है, जिस कारण ये
-पृथ्वी कि सतह के काफी नजदीक होते है। इनका रंग काला या स्लेटी होता है, जिस कारण ये सूर्य कि किरणों के लिए। – अपारदर्शी हो जाते है। ये मेघ मोटे जलवाष्प कि आकृति से विहीन संहति होते है।

4.स्तरी मेघ (Stratus clouds): इस प्रकार के बादलों का निर्माण उष्ण वाताग्र पर होता है जहाँ उष्ण वायुराशि • अपेक्षाकृत ठंडी वायुराशि के संपर्क में आकर उस पर चढ़ने लगती है। ये बादल परतदार होते है जोकि आकाश के बहुत बड़े भागों में फैले रहते है। ये बादल सामान्यतः या तो ऊष्मा के ह्रास या अलग-अलग तापमानों पर हवा के आपस में मिश्रित होने से बनते है। –

बादलों (मेघो) के अन्य मुख्य प्रकार (Other types of clouds): ये चार प्रकार के प्रमुख मेघ- कपासी, स्तरी, वर्ष और पक्षाभ मिलकर निम्नलिखित रूपों के बादलों का निर्माण करते है
1. ऊंचे बादल: इनका निर्माण लगभग 5 से 14 कि.मी. कि ऊंचाई पर होता है जब विभिन्न प्रकार के बाद एक साथ मिल जाते
है। इसमे पक्षाभस्तरी और पक्षाभकपासी आते है।

2. मध्य ऊंचाई के बादल: इनका निर्माण लगभग 2 से 7 कि.मी. कि ऊंचाई पर होता है। इसमे मध्यस्तरी तथा मध्यकपासी मेघ
आते है।

3. कम ऊंचाई के बादल: इस प्रकार के बादलों का निर्माण लगभग 2 कि.मी. कि ऊंचाई पर ही होता है। इसमे स्तरी कपास
मेघ, स्तरी वर्षा मेघ तथा कपासी वर्षा मेघ आते है।

बादल कैसे फटता है

क्या आप जानते है बादल फटना किसे कहते है और बादल क्यों फटता है और इससे किया होता है आप लोगो को पता होगा की २०१३ में उत्तराखंड में तयबाई तो आप को याद ही होगी जिससे उन लोगो को अपनी जान देने पड़ी ३० से ४० हजार लोगो को अपनी जान गबानी पड़ी बदल फटने का मतलब ये नहीं होता की बदल के टुकड़े हो गए हो मौसम बिज्ञानो के अनुसार जब एक जगह पर अचानक बहुत बारिश हो जाये तो उससे बदल फटना कहते है

बादल फटने की घटना जब होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं. और ऐसा होने से वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में एक साथ मिल जाती हैं. और बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि तब बादल की डेंसिटी इतनी बढ़ जाती है. की डेंसिटी बढ़ने से अचानक तेज बारिश शुरू हो जाती है.

बारिश कैसे होती है

बारिश कैसे होती है जब वायु में मिला जलवाष्प शीतल पदार्थों के संपर्क में आने से संघनन (condensation) के कारण ओसांक तक पहुंचता है। तब वायु का ताप ओसांक से नीचे गिर जाता है, जब जल वाष्प पानी की बूँदों अथवा ओलों के रूप में धरातल पर गिरने लगता है। उसी को वर्षा कहते हैं।

बिजली कैसे चमकती है?

तो बताना चाउंगा की की आखिर आसमान में बिजली कैसे बनती जो हम लोगो को दिखाई देती है बह कैसे होता है असल में आसमान में बरसात के टाइम बहुत सरे बदल होते है जो काले होते है और जो इधर-उधर चक्कर लगते रहते है उनमे से कुछ पॉज़िटिव एनर्जी से लैस होते हैं तो निगेटिव एनर्जी से लैस से होते है बदल जब एक दूसरे के समीप आते है तो उनके घर्षण से उच्च शक्तिशाली बीजली पैदा होती है

इससे दोनों ही तरह की बादल के बीच हवा में एनर्जी का उत्सर्जन होता है जिससे तेज चमकदार रौशनी पैदा होती जिससे हम लोग बिजली का चमकना कहते है।

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