दहेज प्रथा पर निबंध 200, 300, 500 Dowry System Hindi Essay शब्दों में

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Dowry System Hindi Essay दहेज प्रथा पर निबंध – Here you will find dehej pratha par nibandh in Hindi language for children and students of class 5, 6, 7, 8, 9, 10. भारत के आधुनिक युग में दहेज प्रचलित प्रथा रहा है | यहां दहेज प्रणाली के बारे में जानें और इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें |

दहेज प्रथा पर निबंध – Dowry System Hindi Essay

भारत में दहेज एक पुरानी प्रथा है । मनुस्मृति मे ऐसा उल्लेख आता है कि माता-कन्या के विवाह के समय दाय भाग के रूप में धन-सम्पत्ति, गउवें आदि कन्या को देकर वर को समर्पित करे । यह भाग कितना होना चाहिए, इस बारे में मनु ने उल्लेख नहीं किया । समय बीतता चला गया स्वेच्छा से कन्या को दिया जाने वाला धन धीरे-धीरे वरपक्ष का अधिकार बनने लगा और वरपक्ष के लोग तो वर्तमान समय में इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार ही मान बैठे हैं ।

धन और संपत्ति माता-पिता दहेज के रूप में अपनी बेटी को देने का इरादा रखते हैं ताकि वह नए स्थान पर परेशानी महसूस ना करें, दुर्भाग्य से, ज्यादातर मामलों में दूल्हे का सारा परिवार उस पर कब्ज़ा जमा लेता है। इसके अलावा पहले यह दुल्हन के माता-पिता का स्वैच्छिक निर्णय होता था इन दिनों यह उनके लिए एक मजबूरी बन गया है।

Dahej Pratha Ek Abhishap Essay In Hindi

कई लोग यह भी तर्क देते हैं कि जो लड़कियां दिखने में अच्छी नहीं होती वे दूल्हे की वित्तीय मांगों को पूरा करके शादी कर लेती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लड़कियों को बोझ के रूप में देखा जाता है और जैसे ही वे बीस वर्ष की उम्र पार कर लेती हैं उनके माता-पिता की प्राथमिकता यही रहती है कि वे उनकी शादी कर दें। ऐसे मामलों में भारी दहेज देना और यह बुरी प्रथा उन लोगों के लिए वरदान जैसी होती है जो अपनी बेटियों के लिए दूल्हा खरीदने में सक्षम हैं। हालांकि अब ऐसा समय है जब ऐसी सोच को बदलना चाहिए।

वर्तमान परिस्थितियों में उचित यही है कि ऐसे सभी लोग एक मंच पर आवें, जो दहेज को मन से निकृष्ट और त्याज्य समझते हों । वे स्वयं दहेज न लें तथा दहेज लेने वालों के खिलाफ आवाज उठाएं । यदि वे ऐसा समझते हों कि उनके काम का विरोध होगा, तो वे अपने सद्उद्देश्य के लिए सरकार से मदद भी मांग सकते हैं ।

कुछ साल तक यदि समग्र देश में दहेज विरोधी आन्दोलन चलाया जाए, तभी इस कुप्रथा को मिटाना संभव बन पाएगा । अन्यथा, अन्य कोई सूरत ऐसी दिखाई नहीं पड़ती जो इस अमानवीय कुप्रथा को समाप्त कर सके ।

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